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वहीं कई सालों से ग्रहण के पश्चात दान की परंपरा चलती आ रही है. आटा, गेहूँ, गुड़, वस्त्र, रसीले फल जैसी दान देने के लिए उत्तम माने गए हैं. संपत्ति विवाद से मुक्ति के लिए तिल के मिष्ठान, मान-सम्मान के लिए सूखी मिठाइयां, तात्कालिक आर्थिक कष्ट को दूर करने के लिए रस वाले मीठे पदार्थ, रोग से मुक्ति के लिए घी से भरे चांदी के टुकड़े युक्त कांसे के कटोरे में अपनी छाया देखकर दान, संकट से मुक्ति के लिए ग्रहण के बाद की सुबह को चींटियों और मछलियों को भोजन अर्पित करने से शुभ और आशाजनक परिणाम प्राप्त होता है, ऐसा पारंपरिक अवधारणाएं कहती हैं.
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